ढलते हुए सूरज ने कहा,
ऐ ! चाँद आ अब तू कर रोशन यह जहाँ ,
बिखेर कर अपनी चांदनी यहाँ,
बाँध ले यूँ अपना समां !
यह रात है चार पहर की,
जला के अंधियारों में दिए,
तू बन जा इस जहाँ का
सब से प्यारा मितवा!
फिर सुबह की किरणों से,
यह खो जाएगा आसमान,
जहां चाँद होता है ज़मीन पर ,
तारे जगमगाते आसमान !