सखी ऱी ! पिया न जाने मोहे मनन की बात ,
कह न सकू में बात यह मन की,
ना वोह समझे बात मिलन की,
कैसे कहूँ उन्हें यह उलझन सी!
सखी! री पिया न समझे बात !
इन नयनों में वोह ही बसे हैं दिन रात ,
आँखें मूंदू या फिर जागू हर रात ,
पलक झपकते जाने क्या हो जात !
सखी ! री ! कासे कहूँ यह बात!
फूल यह मन का खिलने को है तैयार,
देख इसे वोह ना समझे कोई बात ,
मुरझा के बैठा है यह अपने डाल !
सखी ! री पिया न समझे बात!
जाकर उनसे कह दो तुम एक बार ,
कहना पि से मिलने को हूँ तैयार ,
नदिया किनारे ..जिस घट पुष्प हज़ार ,
चाँद भी होगा जलने को तैयार …
सखी ! री ! बस कह दो यह बात!
अब न रह सकू उनके बिना एक रात,
आकर जला दे,
इस ज्योति की बात ,बनके दिया वह रख ले अपने पास!
Ati sundar!
Lehron si behti teri ehsaas ki dhara
Khud hi piya tak pahunch jaegi
Intezar ki apni bhi to
Koi seema hogi! 🙂
🙂 tht is a wonderful reply!
🙂
Reblogged this on soumyav and commented:
The awaiting! feel the feelings.
बहुत ही खूबसूरत
dhanyavaad! 🙂
So sweet and romantic dear! You are at your best here. A song of longing for the ignorant beloved,so lovingly expressed!
Thank you Suri! you encourage me everywhere!
Awesome Awesome Awesome !!!
Thank u Thank u thank u! 🙂
sundar, bahut sundar, ati sundar dear Soumyav 🙂
🙂 🙂 arey thank you Shama! Great to see to commenting here!