वो लम्हे प्यार के!

  अर्जी दी थी हमने भी मगर,ना उसपर कोई करवाई  हुई ,
बैठे रहे तेरे कुचे में आकर ,उम्र यूँ गुजरती गयी,
देखते ही देखते आँखों के चंद लब्ज़ …
बसा गए सपनों का जहां,
मगर हकीकत बनने से पहले
वो चंद लब्ज़ , इतिहास में समा गए।

राह पर तेरी हम फूल बीछा गए,
इत्र के बदले अपने प्यार की कुछ बूँदें छलका गए,
इस उम्मीद में , की,
जब कभी गुजरे तुम्हारी हस्ती
इस राह से,
याद दिला  दे तम्हारे दिल को …
वो लम्हे प्यार के!

ये  हवा की नमी ,चंद बारिश की बूँदें,
गवाह रहे इस तरन्नुम के,
की ज़िन्दगी निकाल  दी  यूँ,
हमने तेरे दर पे,
जाते जाते
सजा गए  गुलशन को तेरे ,
हम  अपने रंग से!
हो सके महसूस कर लेना
वो लम्हे प्यार के!

(photo:shaansepoetry.ucoz.com)

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दिल


चाह  कर भी न कह सके जो बात रह गयी दिल में छुपी ,
कभी हलकी सी रौशनी में  सोचु  ,वो बाहर न आये कहीं,
चेहरे पे बयां कर दे तो …किस कदर समझाऊ मै उनको ,
की नहीं समझता है ये  दिल हमारी उलझन को!

अपने ही में रहता वो,
न देखे ज़माने की रुसवाई को,
छ लका  देता कुछ बूँदें ये अपने बेबसी की,
गर न दिखे  इसे कोई उम्मीद प्यार पाने की !

हम तो समझ जायेंगे ,
तुम्हारे अफ़साने को,
इस दिल को कौन बताए ,
की मिटा दे वो अपने अरमानो को !

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1st award for this blog!

Iam grateful to Priyank who nominated my blogs for the Liebster award!

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इस ख़ुशी के अवसर पर मै प्रियंक का धन्यवाद करना चाहूंगी एवम कई अन्य साथियों को इसके लिए नामांकित करना चाहूंगी!
इस अवार्ड के कुछ नियम है
1.11 लोगों को नामांकित करें
2. अपने बारे में 11 बातें बताएं
3.अपने साथी को धयवाद करें

अपने बारे में यह कहना चाहती हूँ!
1.मुझे संगीत से बहुत लगाव है
2.मै व्यवार से मिलनसार हूँ।
3.भक्ति मेरे मेरे कण कण में हैं।
4.मैंने हिंदी में कविता लिखना अभी शुरू किया है
5.मुझे लिखने के अलावा पढने एवम खाना बनाने का  हैं
6.जीवन के छोटे बड़े अनुभवों से ही मुझे लिखने की प्रेरणा मिली
7. मुझे वर्ड गेम्स बहुत पसंद हैं
8. 2004 तक मेंने  कंप्यूटर कभी  नहीं चलाया  था
9.2007 में मैंने AUTOCAD भी सिख लिया
10. यह ब्लॉग एक जरिया है ,अपनी भाषा से जुड़े रहना का।
11. आजतक बोलचाल की बातों के लिए में ज्यादातर  हिंदी का ही इस्तेमाल करती हूँ

मेरे द्वारा इन लोगों को इस अवार्ड का हक़दार घोषित किया जाता है!

घगरी

पनघट पर जब गोपियाँ नीर भरने चली,
पायल की छुन छुन से सारी  धरती खिली,
देख कर उन्हें जाता देख,
कान्हा,
छिपकर ओझल हुआ  कुंजन्वन  के पुष्प कंदल  में।

छलक छलक कर पानी छलका ,
घागरी से थोडा  इधर उधर गिरता,
एक कंकरी तब यूँ लागी,
फुट गयी घगरी, गोपियाँ भागी।

बोखलायी सी ,जब वह देखे कान्हा को ,
रूठकर कर पूछे ,
” ऐसा काहे करत हो?”
यूँ हमारे काम में जाने,
कैसे कैसे उलझने देत  हो!

देख गोपियों का यह रूप
मंद मुस्कुराए नन्द के पूत ,
मै तो आया इस कारण से,
कर दू हल्का तोरा बोझ ये ,
जिसे उठा कर तुम चली हो,
भूल कर अपनी राह इस वन में,
घगरी फोड़ यहाँ में सोचु,
कितने और पाप के घड़े है तोड़!

मार मार कर कंकरी जाने,
थक गया,
ये कान्हा
धोते
पाप पुण्य से!

दिल की पंखुरियां

 

 

कभी इस दिल के पंखुरियों से पूछों,
मुरझ गयी तेरे इंतज़ार में,
राह तकते सुबह शाम,
 किस पल मिले इसे थोडा सुकून।
 
 
सुर्ख हवाओं से सिमटी,
गरम फिजाओं  में झुलसती,
चंद लम्हे ढूंढ़ती
यह सुहाने बसंत की ।
 
 
उस मनोहर स्पर्श के इंतज़ार में,
कोमल मनोरम दृश्य के,
जब हर एक पंखुरी बिखरे ,
मुस्कराहट अपने शरमाई सी हंसी  के
 
 
 
 

सभ्यता का ढोंग !

 

किसी भी देश की उन्नति वहां बसे लोगों की आर्थिक , सामाजिक एवं मानसिक स्थिति से प्रभावित होती है।
पश्चिम के देश अपनी सुदृद आर्थिक व्यवस्था के लिए मशहूर एवं परिपूर्ण है किन्तु वहां भी लोगों की मानसिक अवस्था कुछ उलझनों में सिमटी हुई है . और ऐसे स्थिति में वहां के समाज में हमे कई प्रकार के विशाक्त्पूर्ण एवं अमानवीय घटनाएँ देखने को मिलती है।
भारत प्राचीनकाल से अपने संस्कारों के कारण चर्चा में रहा है।
पश्चिम देशो का समाज हमारे यहाँ ही कारणों को ढूढ़ ता आया है हमारे इतने विषम परिस्थितियों में भी न हार मानने का गुण और कठिन समय पर भी खुश होने का एहसास।
किन्तु आज के दौर मे अपने देश हो रहे अमानवीय आचरण से देश ही नहीं वरन संपूर्ण मानव जाती शर्मसार है .
इस प्रकार के विभत्स विचार और ऐसी हरकत ने हमारे शीश को ग्लानी से झुक दिया है!
समय रहते अगर हमारे प्रणाली में कुछ सुधार हो जाए ,लोगों की मानसिक सोच को अगर नयी दिशा मिले तो इस देश की उन्नति की बातें करने में कोई अर्थ है,वर्ना,प्रगति सिर्फ नाम मात्र की रह जायेगी .
ना चाहते हुए इस देश के वो लोग जो अपनी आवाज़ एक कर के कुछ करना चाहते है यूँ ही वातावरण में मिल जायेंगे।
अर्थशास्त्र , राजनीती सब धरे धरे रहेंगे अगर मनुष्यता अपना अस्तित्व खो देगी।
इस मनुष्यता की परिभाषा जो हमने सारे विश्व को सिखाई है,यहाँ की आध्यात्मिकता जिससे सारा विश्व प्रभावित है, उसी भूमि के लोगों के अगर ऐसे भयानक विचार राज करते हैं, अगर यहाँ के लोगो की विचारधारा इतनी तुच्छ एवं संकीर्ण है ,तो ईश्वर को भी अपने इश्वरत्व पर शर्मसार होना पड़ेगा!