कभी इस दिल के पंखुरियों से पूछों,
मुरझ गयी तेरे इंतज़ार में,
राह तकते सुबह शाम,
किस पल मिले इसे थोडा सुकून।
सुर्ख हवाओं से सिमटी,
गरम फिजाओं में झुलसती,
चंद लम्हे ढूंढ़ती
यह सुहाने बसंत की ।
उस मनोहर स्पर्श के इंतज़ार में,
कोमल मनोरम दृश्य के,
जब हर एक पंखुरी बिखरे ,
मुस्कराहट अपने शरमाई सी हंसी के ।
Reblogged this on soumyav and commented:
petals of the heart!
beautiful
Thank you dear!
दिनांक 17/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
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अनाम रिश्ता….हलचल का रविवारीय विशेषांक…रचनाकार-कैलाश शर्मा जी
मैँ आपकी बहुत आभारी हूँ ! आपके साइट पर लिंक होना मेरे लिए गर्व कि बात है! धन्यवाद आपका !
सुन्दर रचना
Dhanyavaad!