देखते हैं ख्वाब हम खुली आँखों से
यहाँ से दूर , उस आसमान के परे।
जहां ना छु पाये इस दुनिया की बातें
ना पहुंचे किसी कि आवाज़ कभी।
चल उड़े उस ओर ,
जहां ना हो कोई अन्धकार ना सवेरा
हर एक क्षण हो एक जैसा
मुझमे तुम,और तुझमे मुझे
बसाये हो जैसा।
रेगिस्तान की सुनहरी रेत
हिमालय की सर्द हवाएं
पहाड़ियों कि हरियाली
समुद्र की अनगिनत लहरें
सभी को ले चले
उस सुनहरी दुनिया कि ओर
जहां हम ओर तुम बनाये
एक नया जहां
बादलों के बीच ,
चल मेरे चितचोर !