वह पृष्ठभूमि ,है हमारी तक़दीर
सियासत की खुनी लड़ाई में
ज़िन्दगी की बन गयी भद्दी तस्वीर
गर बहा ले जाए झेलम की लहरें
इन नफरत के शोलों को
फिर से ऐ! फ़िरदौस
बन जाएगी जन्नत यह तुम्हारी ज़मीन!
मोती – सचमुच दिल के बहुत करीब है रचना पढ़ते समय ऐसा एहसास होता है कि हम समुद्र के किनारे खड़े हैं और चारों तरफ मोती बिखरे पड़े हैं क्यों न हम उन मोतियों को चुनकर एक सुन्दर सी माला बनाले
इस रचना से यह भी इंगित होता है कि कवियित्री भावुक ह्रदय में नन्हे मासुम बच्चों के लिएदर्द हैे
मोती – सचमुच दिल के बहुत करीब है रचना पढ़ते समय ऐसा एहसास होता है कि हम समुद्र के किनारे खड़े हैं और चारों तरफ मोती बिखरे पड़े हैं क्यों न हम उन मोतियों को चुनकर एक सुन्दर सी माला बनाले
इस रचना से यह भी इंगित होता है कि कवियित्री भावुक ह्रदय में नन्हे मासुम बच्चों के लिएदर्द हैे