दबी साँस ! उस प्यार की डोरी को जलते देखा है बंद कमरे में उसे झुलसते देखा है सिसकियों से भरी रात में देखा है दो बोल मोहब्बत के लिए तरसते देखा है घुटन में दबी उस साँस को सुना है जो जीना चाहे , खुली हवा में , उस मन की ख्वाइश को यूँ ही रौंदते देखा है! Share this:TwitterFacebookEmailLike this:पसंद करें लोड हो रहा है... Related
घुटन में दबी उस सांस को जिया है जिन्दगी को यूं ही मर-मर के जिया है दर्द को ओढ़ा दर्द को पिया है!!! हाल ऐसा ही कुछ उन सबका हुआ है जिन्होने जिन्दगी को जिन्दादिली से जिया है!!! आमंत्रित हैं आप http://www.lekhanhindustani.wordpress.com, https://www.facebook.com/groups/lekhanhindustani/ पर आपकी पसंदीदा रचना और लिंक्स के साथ!!! प्रतिक्रिया
Its amazing Sowmya ji! These lines said so many things!
Thank you
घुटन में दबी उस सांस को जिया है
जिन्दगी को यूं ही
मर-मर के जिया है
दर्द को ओढ़ा
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हाल ऐसा ही कुछ
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Dhanyavaad! For your beautiful lines full of depth
स्वागत!
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