खामोशी एक ज़ुबान हम जानते हैं खामोशी है जिसका नाम नजरें करे गुस्ताखिया चाँद फिर भी दिखे अनजान छुपकर बादलों में पलक झपकाये बार बार कभी ओस की बूँदों में छलके कभी बारिश की बूँदों में दिखाये अपना प्यार Share this:TwitterFacebookEmailLike this:पसंद करें लोड हो रहा है... Related