यादों के झरोखे में
सिमटकर हम ले चले
चंद किस्से प्यार भरे
एक सुनेहरा दिन,
कुछ
चाँदनी रातें
वह गीली रेत में
चलना …तारे गिन गिन…
किस पल आए फिर ऐसा समा
लहरों में छुपा लूँ अपना जहाँ
चंद मामूली बातें
कुछ अनकहे किस्से …
मुद्दत से राह् देखे यह मन
कब फिर शुरु होगा
मिलों पुराना यह स़फर
…
अधूरा जो रह गया था
किसी मोड़ पर
आओ चले फिर से
उसी यादों के झरोके पर …