क्या लिखा है
दीवारों और दरख्तों पर
कुछ किस्से
कुछ सबूत
उस पुराने इतिहास की
जिसकी न मैं गवाह ना तुम
रंग उतरे इन स्तंभों पर
कई कहानियाँ जागती
इधर उधर
रात के पहर
अनायास ही नज़र पड़ी जब उन पर
सोचने लगा मन
क्या कहना चाहती है
यह दीवारें सालों से खड़ी
जीती जागती ,
मूक दर्शक बनकर !
awesome
Thanks
जिस्म की जरूरत तुम्हे बहुत है,
झुठी तमन्नाओ का क्या फ़ायदा,
दिल तो तुम्हे मैने दिया ही था,
अभी बदनाम करने का क्या फ़ायदा।।।
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