कैसे कहे चाँद से कैसे कहे चाँद से रात की चांदनी उससे अलग नहीं चाहे हो दिन या सितारों का मज़मा रौशनी रूह की जलती है अंदर ही ©Soumya Share this:TwitterFacebookEmailLike this:पसंद करें लोड हो रहा है... Related