वह सोचते हैं गम उन्हीं की कश्ती का हमसफर है कौन समझाए हमने तो जुबान पर मुसकुराहट पहनी है गर बयान करे हाल ए दिल तो तुफान आजाए कश्ती हमारी तो पहले से मझधार में फँसी है. ©soumya