कैसे कहे चाँद से
रात की चांदनी उससे अलग नहीं
चाहे हो दिन या सितारों का मज़मा
रौशनी रूह की
जलती है अंदर ही
©Soumya
कैसे कहे चाँद से
रात की चांदनी उससे अलग नहीं
चाहे हो दिन या सितारों का मज़मा
रौशनी रूह की
जलती है अंदर ही
©Soumya
आज आप सभी को एक खुशखबरी देनी है . मेरी नई कंपनी औदुम्बर आर्ट्स का पहला गाना आज Zee म्यूजिक के YOUTUBE Channel पर release हुआ.
कृपया इसे देखे और पसंद हो तो शेयर करे .
सूफी संगीत ने अरसों से अलग अलग भाव एवं अंदाज़ देखे और अपनाए है। रॉक हो या पॉप,फ्यूज़न हो या फिर क़व्वाली ,इसको जिस अंदाज़ में पेश किया , सूफी गीतों ने अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है।
यह गीत बॉलीवुड के गीतकार अलोक रंजन झा ने अपनी जादुई कलम से लिखा है , जिनकी हाल ही मैं फिल्म “शोरगुल” में भी गीत “बारूदी हवा ” काफी मशहूर हुआ। यह अभी “जय भीम ” गाने के लिए भी पुरस्कृत हुए हैं।
गाने की धुन विवियन वैद्य ने बनायीं है ,जो कई सालों तक देश की नौसेना के लिए काम कर चुके हैं। इन्हे आठ वाद्यों में महारथ हासिल है और इनका अपना रॉक बैंड “फ्यूज़न ट्रिक्स”गोवा में काफी प्रसिद्ध है।
जोगी दे नाल में आवाज़ कौशिक कश्यप की है, जो की असमिया फिल्मों में गान गए चुके है और काफी शोज भी कर चुके हैं। यह अभी तक अली खली मिर्ज़ा जो की बिग बॉस के प्रतिभागी रह चुके हैं, उनके साथ काम करते थे।
जोगी दे नाल का गीत विशेष रूप से युवा वर्ग को मन्दे नज़र रखते हुए किया गया है।इस गीत में कई वाद्यों का प्रयोग किया है , इस की ताल और तर्ज़ आधुनिक संगीत पर आधारित है और इसमें उपयोग हुए गिटार एवं सैक्सोफोन में डेविड सिंचुरी और आय डी राव ने अपना कमाल दिखाया है, जो की ऍम टी वी इंडीज और ऍम टी वी कोक स्टूडियो में प्लेयर्स है।
इस दर्द ए दिल की दवा दे जा
तेरा चाँद सा मुखड़ा हमे दिखा जा
कल अमावास की रात थी
अंधकार में लिपटी , हर बात थी
गम की स्याही से लिखी
एक आवाज़ थी
कल आसमान में आएगा वो
धरती पर तुम , अंबर में वो
फिर भी …
उजाले की किरण दिखा जा
तेरा चाँद सा मुखड़ा दिखा जा
…
आज तो दीदार करा जा
तेरा चाँद सा मुखड़ा दिखा जा
ओ ! चंद्रिका ! तेरे माथे की बिन्दिया है वो चाँद
नयनो में बने कजरा ,
निशा का यह घोर अन्धेरा
तेरे होठों की रंगत लाये
वह सुबह की लालिमा
चितचोर सा छुपा वो चाँद
घने कारे बादलों में सिमटा ,
जैसे ज़ुल्फों से निहारता
एक गुलाब !
ओ चंद्रिका! तड़पे मन हर पल
जागु मैँ सारी रात
तेरी शीतल छाया
जलाये मेरा मनवा
रोम रोम में अंगार….
चंद्रिका ! तुझसे ना करूँ में बात
आह भरे, मेरे हृदय की साँसें
तेरा सांवरा तो है तेरे पास,
किस से कहूँ मैँ अपने
पिया की है मुझे अब
आस ,
चंद्रिका , तेरा चाँद तो है तेरे पास.
Copyright@Soumyav2015
आदत सी हो गयी है हमें
तेरे दीदार की…
क्या हुआ ग़र मिलते हो हमसे तुम
हर रात, चाँद की सतह पर …
मिलों दूर् की दूरियाँ दिखती नहीं
हमदम ,
कि किरणों ने
बिछायि चादर …
चलो चलें चाँद पर …
ढल गया सूरज , आज शाम तन्हा है
कल रात कि चाँदनी भी मुझसे कुछ खफा है
पहलू में वो जो आए , सितारों का नगमा लिए
हमने कर लिया किनारा, उनसे नजर मोड़ के
Copyright@SoumyaV2015
हमगुजरते दौर के साये में खड़े थे
कभी अपना वजूद
कभी आइना
झूठ निकाला !
कब्र तक जाते ना जाने कितने
ऐब जानेंगे हम ,
ख़ुद को जाना तो
तो जाना सब धोखा है !
बस यूँ ही रहतीं है
इक नज्म होंठों पे लेकिन
तुमसे मिलना …
यही जीने का बहाना है
यादों के झरोखे में
सिमटकर हम ले चले
चंद किस्से प्यार भरे
एक सुनेहरा दिन,
कुछ
चाँदनी रातें
वह गीली रेत में
चलना …तारे गिन गिन…
किस पल आए फिर ऐसा समा
लहरों में छुपा लूँ अपना जहाँ
चंद मामूली बातें
कुछ अनकहे किस्से …
मुद्दत से राह् देखे यह मन
कब फिर शुरु होगा
मिलों पुराना यह स़फर
…
अधूरा जो रह गया था
किसी मोड़ पर
आओ चले फिर से
उसी यादों के झरोके पर …
घने बादलों के साये मँडराते है आज
चहुं ओर छाया है अन्धेरा
ना कोइ रौशनी , ना कोई आस्
फिर भी चला है यह मन अकेला.
ना डरे यह काले साये से
ना छुपा सके इसे कोहरा
अपनी ही लौ से रोशन करे यह दुनिया
चले अपनी डगर…
हो अडिग, फिर भी अकेला …
ना झुकता है यह मन किसी तूफान में
ना टूटे होंसला इसका कभी कही से
एक तिनके को भी अपनी उम्मीद बना ले…
ऐसा है विश्वास बांवरे मन का…
ना थके वो , ना रुके वो
मंज़िल है दूर् , दूर् है सवेरा
चला जाए ऐसे, पथ पर निरंतर
ऐ मन , तू है चिरायु …
वह घना अँधेरा डूब गया अब रात के स्याही में
इस कलम की बात अभी अधूरी है
कुछ पैगाम अभी लिखना ज़रूरी है
जलती शमा ने बाँध लिया वह समां