नील गगन के साये में खिलते हैं फुल हज़ार
कई ख़ुशबू लिए चमन में
कई खिलाये चहुं ओर बहार!
जब निशा काल में चमके अंबर
धरती पर छाये वसंत बहार
लहरें गाये स्वर लहिरि
छेड़े सुर जैसे मल्हार !
कई गीत सुनाये झींगुर
जब अंधकार में डूबा संसार
मदमस्त हो झूमे प्रकृति के रूप
निशांत स्वर्ग सा दिखे यह दृश्य
अमुल्य ,अतुल्य जैसे कोइ साक्षात्कार !