गोकुल में भयो बाल काल
ग्वाल बाल बने सखा
बांसुरी की धुन में
झूमे नन्द संग गोपियाँ
वृन्दावन की कुञ्ज गली में
राधा करे श्रृंगार
अपने आराध्य के रंग में
रंग लियो अपना संसार
द्वारिका जो गए कन्हैया
मुड़ के देखो न एक बार
राधा ,संग गोपियों
पलके बिछाये हैं
यमुना पार!
सुनाके कान्हा एक धुन अनोखी
करदो सबके मन को शांत
झूमने लगे फिर से अम्बर
ऐसे राग को छेडो आज!
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