रंगरेज

तक़दीर मेरी क्या रंग लाती है
तेरे दर पर आने के बाद
तारे गिन गिन हो गई सुबह
कहता यह दिल
मत कर नादानियाँ…

वो थाम ले जो हाथ तेरा
अंबर तक चले जाना
जो ना नजर मिलाये तो
चाँद को धरती पर बुला लाना…

आँखों में ख्वाब  बेशुमार
हलका सा  खुमार
ग़र हम है तेरे रंगरेज
तुझ पर भी चदा होगा
मोहब्बत का बुखार

बहाना

हमगुजरते दौर के साये में खड़े थे
कभी अपना वजूद
कभी आइना
झूठ निकाला  !

कब्र तक जाते ना जाने कितने
ऐब जानेंगे हम ,
ख़ुद को जाना तो
तो जाना सब धोखा है !

बस यूँ ही रहतीं है
इक नज्म होंठों पे लेकिन
तुमसे मिलना …
यही जीने का बहाना  है

यादों के झरोखे

यादों के झरोखे में
सिमटकर हम ले चले
चंद किस्से प्यार भरे
एक सुनेहरा दिन,
कुछ
चाँदनी रातें
वह गीली रेत में
चलना …तारे  गिन गिन…

किस पल आए फिर ऐसा समा
लहरों में छुपा लूँ अपना जहाँ
चंद मामूली बातें
कुछ अनकहे किस्से …

मुद्दत से राह् देखे यह मन
कब फिर शुरु होगा
मिलों पुराना यह स़फर

अधूरा जो रह गया था
किसी मोड़ पर
आओ चले फिर से
उसी यादों के झरोके पर …

@SoumyaV

 

मैँ कौन हूँ

कभी लब्ज करे सवाल , कि मैँ कौन हूँ
जश्ने उल्फत कहे कि शराब हूँ
जिसे देख् कर ना,

कभी भी यह दिल भरे
जो लगा लूँ लब से तो
नशा ही हो !
तेरी जिंदगी का बस एक पल ही हूँ
तुझे इल्म हो , यह दुआ करूँ!