फिक्र नहीं हमें तूफानों की,
मझधार में जो हम रुक भी गए,
हम पर अगर है रहमत उसकी ,
तो तूफानों से क्यूँ हम डरे...
झुकाकर यह शीश हम ना
करेंगे उसे शर्मिंदा
सिखाया है जिसने
तूफानों में भी जीना...
विश्वास की ज्वाला को चिंगारी दे
हम चल पड़ेंगे अपनी डगर,
रुख मोड़ लेगी हवाओं का
साहिल बन कर अपनी किस्मत !