तड़पता है दिल ,ऐ साथी ,
जो तीर तीखे नुकीले निकले तेरी ज़ुबान से
दो प्यार के बोल , पे तेरे
लूटा दिया हमने अपना जहान यह
फिर कब समझोगे, ऐ हमसफर
मेरी मंद मुस्कुराहट को
छिपा जाती है जो,
आँसुओं के सैलाब को
तड़पता है दिल ,ऐ साथी ,
जो तीर तीखे नुकीले निकले तेरी ज़ुबान से
दो प्यार के बोल , पे तेरे
लूटा दिया हमने अपना जहान यह
फिर कब समझोगे, ऐ हमसफर
मेरी मंद मुस्कुराहट को
छिपा जाती है जो,
आँसुओं के सैलाब को