खामोशी

एक ज़ुबान हम जानते हैं
खामोशी है जिसका नाम
नजरें करे गुस्ताखिया
चाँद फिर भी दिखे अनजान
छुपकर बादलों में पलक झपकाये बार बार
कभी ओस की बूँदों में छलके
कभी बारिश की बूँदों में दिखाये अपना प्यार

तुम

तुझमें बसी है जान मेरी,
ना ऐसे नजरें फिराया करो,
मचल जाती है यह धड़कन,
जब आवाज़ देकर तुम यूँ ही गुजर जाओ!!