चिराग दिल के जला के हम
राह् तके चारों पहर
फिर एक लम्हा बीत गया
एक ज़माना गुजर गया …
हम यूँ ही शमा जलाते रहे
दामन यूँ ही जलता गया…
तुम्हे वक्त का ना कभी तकाजा हुआ
ना तुमने खोजे वो पल यहाँ
कि रेशम से अश्कों में बह गया
आलीशान यह महल प्यार का !!!
चिराग दिल के जला के हम
राह् तके चारों पहर
फिर एक लम्हा बीत गया
एक ज़माना गुजर गया …
हम यूँ ही शमा जलाते रहे
दामन यूँ ही जलता गया…
तुम्हे वक्त का ना कभी तकाजा हुआ
ना तुमने खोजे वो पल यहाँ
कि रेशम से अश्कों में बह गया
आलीशान यह महल प्यार का !!!
किस भंवर में है उलझा यह संसार
चंद रोटी के टुकड़े और मकान
यही तो थी ज़रुरत उसकी
फिर क्यों बैल सा ढ़ो रहा है
यह भोझ इंसान
कांच के महल , अशर्फियों की खनक
मखमली बिछौने , यह चमक धमक
भूल गया वो अब मुस्कुराना
ना याद रहता उसे अब सांस भी लेना,
के गुम हो गयी अब उसकी शख्सियत
रह गया बस बनके एक मूरत
जाग कर भी ना आँखें खोलें
ऐसी हो गयी उसकी फितरत !
लगता है कि थम सी गयी है जिंदगी
एक किनारे पर
घरौंदा जहाँ बना है इंसानो का
इस धरती पर!
कहाँ से आए हैं
किधर है जाना
एक चक्रव्युह सा है
यह सारा ज़माना !
बंजर से मन पर
हरे खेत खिल खिल्लाना
देखा है यहाँ
तारों का जमीन पर आना!
अजब सी इस दुनिया
के गज़ब से अफ्साने
बनाए यह किसने
खूबसूरत तराने !
एक स़फर पर यूँ ही हमें भेज कर
बैठा है वो आँखेंटी काये इस नज्म पर
गाये जो भी तरन्नुम में ,सही,
बन जायेगा वो इस जहाँ का सिकंदर !
Ek lamha yun hi thahar gaya zindagi ki raah par,
Jise chod hum chale yun hi bekhabar,
Na jaane kis tarah hai jeevan ke raaste,
ki zindagi le aayi hume phir usi mod par…