हिज्र

अर्ज़ मेरी उसने ना सुनी,
होगा वो कुछ संगदिल सा,
एक हिज्र की मोहलत माँगी थी,
रूखसत हुई जब
उसके दर से यह ज़िंदगी।

-©Soumya

5 विचार “हिज्र&rdquo पर;

  1. सीने से लगा कर अपने……..अब सहारा दो हमें
    ये इश्क़ बहुत भारी सा लगता है…बंटवारा दो हमें

    ये झील सी………गहरी गहरी………तुम्हारी आंखें
    मैं डूब रहा हूँ इन आँखों में…..…..अब बचा लो हमें…!!

    https://aktiwari1989.blogspot.com/2021/04/blog-post_840.html

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