बिखरे हैं कई मोती निकल कर सीप से
सागर के किनारे , लहरों में पड़े
कुछ चुनिंदा मोती, मैं चुन लूँ
बनाकर माला उन्हें पिरों लूँ।
रह जाएंगे यूँ वह दिल के करीब
निखर जाएगी जुस्तजू
सुनकर उनका बयां
कितने अनमोल ,खुशनसीब
है वह जिन्होंने लिखी
मोहब्बत की दास्तां .