महल प्यार का

चिराग दिल के जला के हम
राह् तके चारों पहर
फिर एक लम्हा बीत गया
एक ज़माना गुजर गया …

हम यूँ ही शमा जलाते रहे
दामन यूँ ही जलता गया…

तुम्हे वक्त का ना कभी तकाजा हुआ
ना तुमने खोजे वो पल यहाँ
कि रेशम से अश्कों में बह गया
आलीशान यह महल प्यार का !!!

4 विचार “महल प्यार का&rdquo पर;

  1. Khoobsurat.
    देखिये ज़िन्दगी से यारी रखना सिखाती मेरी आज की प्रेरणादायक कविता “ज़िन्दगी से अपनी तू यारी रख”।

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