महल प्यार का चिराग दिल के जला के हम राह् तके चारों पहर फिर एक लम्हा बीत गया एक ज़माना गुजर गया … हम यूँ ही शमा जलाते रहे दामन यूँ ही जलता गया… तुम्हे वक्त का ना कभी तकाजा हुआ ना तुमने खोजे वो पल यहाँ कि रेशम से अश्कों में बह गया आलीशान यह महल प्यार का !!! इसे शेयर करे:TwitterFacebookEmailपसंद करें लोड हो रहा है... Related
Khoobsurat. देखिये ज़िन्दगी से यारी रखना सिखाती मेरी आज की प्रेरणादायक कविता “ज़िन्दगी से अपनी तू यारी रख”। अग़र पसन्द आये तो प्लीज् लाइक, शेयर, कमेंट ज़रूर कीजियेगा 🙏🙏 प्रतिक्रिया
wah wah
Shukriya Nirmal
Wah bhut khub
Khoobsurat.
देखिये ज़िन्दगी से यारी रखना सिखाती मेरी आज की प्रेरणादायक कविता “ज़िन्दगी से अपनी तू यारी रख”।
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